Saturday, August 7, 2010

कुछ तो कहो,...........

कुछ नहीं कहा तुमने
लेकिन यह क्या सुना मैंने
लब खुले नहीं
होंठ हिले नहीं
बोल फिर सुनी कैसे मैंने

कुछ तो हैं मन मैं तुम्हारे
जो तुम कहना नहीं चाहते
मन में दबे हुए तूफ़ान को
बहने नहीं देना चाहते

जिन्दगी के इम्तेहां को
मिल कर सहज कर लेंगे
हालात की दुश्वारियों को
हँस कर हल कर लेंगे

चले आओ थम कर हाथ मेरा
हमसफ़र हैं हम
हर मुश्किल आसान हो जायेगी
मुस्कारो दो एक बार फिर से
मेरे दुनिया ही बदल जायेगी