Friday, July 6, 2012

इंतज़ार नहीं




फूलों की महक को, सावन का इंतज़ार नहीं
कलियों की मुस्कान बूंदों की मोहताज नहीं
इन्द्र धनुष के रंग चारों ओर बिखरे हैं
खुशियों की आहट को दस्तक का इंतज़ार नहीं

अंधेरे की चादर घनी ही सही
सितारे फिर भी चमकते हैं
दिल में तूफानों का बसेरा है
मुस्कानों की कमी फिर भी नहीं

पथरीले रास्ते मोड लिए होते हैं,
फिसलन कदमों को रोक लेती है
राही फिर भी गिर कर उठ जाते हैं
अकेले चलने वालों को साथ का इंतज़ार नहीं।



Tuesday, July 3, 2012

बारिश की एक बूंद





आज़ाद गगन में टहलती,
काले घने बादलों से अचानक निकली,
नन्हें बच्चे से मचल कर फिसली,
बारिश की एक बूंद।

खुले आकाश में टहलती हुई,
इन्द्र धनुषी झूले में झूलती हुई,
सरर से धरती पर आ गिरि ,
बारिश की एक बूंद।

सपना बन कर कभी आँख में बसी,
अश्कों में ढल कर कभी होंठों पर रुकी,
खुशी में कभी बरबस निकल पड़ी,
बारिश की एक बूंद।

सूखी ज़मीन की प्यास बुझाती कभी,
सैलाब बन कर सब कुछ मिटाती कभी,
फिर भी......
नदी में मिल कर सागर में समा जाने के लिए,
बादलों से निकल पड़ी
बारिश की एक बूंद