Sunday, September 5, 2010

नीर भरी बदली


नीर भरी बदली
नीले आकाश तले
बादलों की छाव में
कब आकर बरस गयी
नीर भरी बदली

सीने में अहसासों का भार लिये
मन में उमंगों का वार लिये
प्रियतम से मिलने को आतुर
फिर से छलक गयी
नीर भरी बदली

नैनों में सपनों का शुमार
होठों पर मिलन का खुमार
तन पर पहले प्यार की फुहार
अपने में समेटे हुए
फिर से छलक गयी
नीर भरी बदली

मेरे जीवन आकाश में
साँसों के तार में
मुस्कान के प्यार से बंधी
नव रस की वर्षा कर गयी, यह
नीर भरी बदली.........