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Tuesday, December 22, 2015

सवाल-जवाब



कुछ सवाल पूछती है ज़िंदगी,
जवाब दूँ, या खामोश रहूँ,
यह भी एक सवाल है;

गम और खुशी का मेल है ज़िंदगी,
इन्हे सौगात समझूँ, या उलझन,
हर पल यही ख़याल है;

मिलन-विछोड़ा, जीवन के दिन रात हैं,
शाश्वत-सत्य यह मान लूँ, या भुला दूँ,
हर पल उठते सवाल है;

सवाल-जवाब और उलझनों के माया-जाल में
फंसी-उलझी ज़िंदगी, रुकूँ या चलूँ,
पल पल चलते सवाल हैं;

कलम की नोक पर सहम कर अटकी ज़िंदगी,
दर्द और खुशी के सैलाब में डुबूँ या पार उतरूँ,
न हल होने वाले या कुछ सवाल है।







Monday, June 17, 2013

अबूझे सवाल.......



मन कुछ उदासी क्यूँ है
सब कुछ है ज़िंदगी में
फिर भी
दिल में एक प्यास सी क्यूँ है

फूलों से भरे गुलशन में
कलियों के चेहरों में
नमी सी क्यूँ है

इंद्र्धानुषी रंगो से सजी ज़िंदगी में
कुछ रंगो की
कमी क्यूँ है

लाखों सितारों से सजे आसमान में
एक चाँद ,
की कमी क्यूँ है

सोच में है यह दिल
सब कुछ पाने के बाद भी
कुछ और पाने की
ललक मन में बनी क्यूँ है

सब कुछ है ज़िंदगी में
फिर भी
दिल में एक प्यास सी क्यूँ है