Tuesday, February 11, 2014

उस प्यार का अहसास


बिना कुछ कहे मन की बात समझ जाते,
अबोले शब्दों को अपने होठों से कह जाते,
हमारे आसुओं को अपनी पलकों में छुपा
हमारे गालों को प्यार से थपथपाते,
पापा हमारे सिर पर हाथ फिराते।
सर्दी की ठंडक हो या
गर्मी की तपन,
हमारी फर्माइएशों को हुकुम मानकर
पूरा ही कर लाते,
दुख के हर पल में,
चुपके से हाथ पकड़कर,
अपना सहारा दे जाते,
खुशी की घड़ियाँ हमेशा
उत्सव की तरह मानते।
कभी दोस्त बन कर,
कभी हमराज़ बन कर,
पापा ने, हमेशा मुश्किलों को
हँस कर ही सुलझाया था,
दूर हों या पास, हमने उन्हे
हमेशा अपने साथ ही पाया था।

अचानक उनका साथ छूट गया,
सर से छत का साया ही टूट गया,
प्यार को वो अनदेखा सागर,
हाथों से मानों रीत गया।
आशीर्वाद उनका आज भी
बस साथ है
जिंदगी भर जो दिया उन्होने,
उस प्यार का अहसास है,
बस उस प्यार का अहसास है...........




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