कुछ कहने सुनने के पल
बहुत कम हैं,
नजरों के इशारे समझा करो
ज़ुबान हमेशा
हाले दिल बयां
नहीं करती
पलकों की जुंबिश देखा करो
लहराते गेसूओं की खनक
जज़्बा ए दिल
सुनाती है
खामोशी की आवाज सुना करो
चेहरे की मुस्कान
एक धोखा है
‘कलम’ की पुकार सुना करो।
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