सूरज के ढलते ही
कभी नीले, कभी ऊदे
और कभी गुलाबी- पीले
रंगों से रंगोली
सजाता है आसमान
बादलों के झरोखों से झांकता
सुनहरी किरणों की पोटली समेटता
संध्या से आँख-मिचोली खेलता आसमान
सितारों की चादर को ओढ़ कर
रात भर चाँद से खेलता कभी गरजता
कभी चमकता और कभी समाधी लगाकर
शांत चित से प्राची की दीवारों पर
सिन्दूर बिखेरता आसमान
जिन्दगी के हर रंग से सजा मेरा आसमान
कभीं ख़ुशी और कभी आंसू से खिला
मेरा आसमान
कैसे कैसे रंग बदलता है आसमान
सुबह और शाम के खिलोनों से खेलता
जिन्दगी से भरा मेरा आसमान