चाँद की हर कला में
सूरज की हर किरण में
बारिश की बरसती बूंदो में
पलकों की झिमिलाती झालर में
संगीत के हर साज़ में,
साज के हर सुर में
पहली ओस की पायल में
फूलों की हर शै में
भवरों की उस गुंजन में
होठों की हर जुंबिश में
खनकती चूड़ियों की हर खनकार में
पायल की हर रून-झुन में
बस तुम हो
तुम ही तुम हो
सूरज की हर किरण में
बारिश की बरसती बूंदो में
पलकों की झिमिलाती झालर में
संगीत के हर साज़ में,
साज के हर सुर में
पहली ओस की पायल में
फूलों की हर शै में
भवरों की उस गुंजन में
होठों की हर जुंबिश में
खनकती चूड़ियों की हर खनकार में
पायल की हर रून-झुन में
बस तुम हो
तुम ही तुम हो