Saturday, December 17, 2011

सिर्फ तुम

चाँद की हर कला में
सूरज की हर किरण में
बारिश की बरसती बूंदो में
पलकों की झिमिलाती झालर में
संगीत के हर साज़ में,
साज के हर सुर में
पहली ओस की पायल में
फूलों की हर शै में
भवरों की उस गुंजन में
होठों की हर जुंबिश में
खनकती चूड़ियों की हर खनकार में
पायल की हर रून-झुन में

बस तुम हो
तुम ही तुम हो