Monday, June 17, 2013

अबूझे सवाल.......



मन कुछ उदासी क्यूँ है
सब कुछ है ज़िंदगी में
फिर भी
दिल में एक प्यास सी क्यूँ है

फूलों से भरे गुलशन में
कलियों के चेहरों में
नमी सी क्यूँ है

इंद्र्धानुषी रंगो से सजी ज़िंदगी में
कुछ रंगो की
कमी क्यूँ है

लाखों सितारों से सजे आसमान में
एक चाँद ,
की कमी क्यूँ है

सोच में है यह दिल
सब कुछ पाने के बाद भी
कुछ और पाने की
ललक मन में बनी क्यूँ है

सब कुछ है ज़िंदगी में
फिर भी
दिल में एक प्यास सी क्यूँ है





Tuesday, June 11, 2013

एक चेहरा...........



यादों की खिड़की से झाँकता, एक चेहरा
कभी मुस्काता, कभी रुलाता, एक चेहरा

तुतलाते शब्दों में सवाल पूछता एक चेहरा,
शर्माते जवाबों में उलझा एक चेहरा,
यादों के बेलों में,
घूमता,बल खाता एक चेहरा,
 कभी मुस्काता, कभी रुलाता, एक चेहरा।

सड़क के मोड पर कभी मूड कर देखता एक चेहरा,
बस के सीट पर बैठ कर मुड़ कर देखता एक चेहरा,
चलती भीड़ में खोकर फिर मिलता हुआ एक चेहरा,
पटरी पार करने के इंतज़ार में खड़ा एक चेहरा,

रेल के आपाधापी में अपनी जगह बनाता एक चेहरा,
किसी कोने में बैठ कर ऊँघता, समहलता एक चेहरा,
किसी कपड़े की दुकान को उम्मीद से निहारता एक चेहरा,
भीड़ के धक्के से गिरे बरफ के गोले को मासूमियत से
निहारता एक चेहरा।

सलवटें पड़े माथे से पसीना पोंछता एक चेहरा,
नए कपड़ों को मुसन से बचाता एक चेहरा,
नई खुशी से झिलमिलाता , तो कभी,
दुख को अपने में समाता एक चेहरा,

हर चेहरा, कुछ कहता है,
हर चेहरा, कुछ सुनता है,
यादों की गलियों से झाँकता एक चेहरा,
कभी मुस्काता, कभी रुलाता, एक चेहरा।