बहुत कुछ जान लिया है
फिर भी कुछ जानना बाकी है अभी;
काफी कुछ पहचान लिया खुद को,
फिर भी बहुत कुछ पहचानना बाकी
है अभी।
राहें ढूँढी हैं प्यार करने
की मगर,
मुश्किलों के पड़ाव तय करने
बाकी हैं अभी;
अहसासों के समुंदर जीत लिए
हैं बहुत, लेकिन,
नजरियों के भँवर पार करने बाकी
हैं अभी।
रिश्तों के बाग-बगीचे खिल गए
अनगिनत,
छोटी-छोटी खुशियों की कलियों
का खिलना बाकी है अभी;
नन्हें नन्हें कदमों से सारा
जग तय तो कर लिया है लेकिन,
उम्मीदों के छोटे छोटे पड़ाव
तय करने बाकी हैं अभी।
बहुत कुछ देखा और लिखा जा चुका
है अब तक,
बहुत कुछ सुना और कहा जा चुका
है अब तक;
धरती को कागज और अंबर को कैनवास
बना लिखने के लिए
‘लेखनी’ का अनंत सफर बाकी है अभी......