लेखनी से निकले हुए शब्द उन पलों का अहसास है जो वक़्त की समय रेखा पर समय ही लिखवाता है...........
Friday, March 4, 2011
अनंत असीम आकाश
मेरी खिड़की से झांकता आकाश
सुनहरी धूप से चमकता
कभी ओस की नमी से भीगता
सावन की बूंदों में नहाता
ए़क बच्चे की तरह ठुमकता आकाश
दीवाली की जगमगाहट में मुस्कुराता
होली के रंगों से खिलखिलाता
हर रात को सितारों की चादर ओड़ कर
सुबह के इंतज़ार में ऊंघता
रोज सूरज का स्वागत करता है आकाश
मेरी खिड़की से झांकता आकाश
सिन्दूरी सूरज से सज-धज कर
शाम के रुपहले घूँघट से निहारता
सावंला सलोना आकाश
शरारती बच्चा सा पल पल
रंग बदलता
आतुर प्रेमी जैसा
धरा को हर पल
अपनी बाँहों में भरने को उत्सुक
मेरी आँगन में उतर आया
नया निराला अनोखा
अनंत असीम आकाश
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