Friday, July 6, 2012

इंतज़ार नहीं




फूलों की महक को, सावन का इंतज़ार नहीं
कलियों की मुस्कान बूंदों की मोहताज नहीं
इन्द्र धनुष के रंग चारों ओर बिखरे हैं
खुशियों की आहट को दस्तक का इंतज़ार नहीं

अंधेरे की चादर घनी ही सही
सितारे फिर भी चमकते हैं
दिल में तूफानों का बसेरा है
मुस्कानों की कमी फिर भी नहीं

पथरीले रास्ते मोड लिए होते हैं,
फिसलन कदमों को रोक लेती है
राही फिर भी गिर कर उठ जाते हैं
अकेले चलने वालों को साथ का इंतज़ार नहीं।



No comments:

Post a Comment