Thursday, December 31, 2015

एक नयी शुरुआत


पल बीता, कल बीता,
लो आज एक नयी सुबह हुई,
नए सपनों, नए रंगो की,
एक नयी शुरुआत हुई।

क्या खोया, क्या पाया,
क्या मिला और क्या गवाया
हमने,
सब भूल के चलो आगे बड़ें,
इस नयी सोच के साथ
एक नए सपने, नए होंसले की
आज फिर एक बात हुई,
नए सपनों, नए रंगो की,
एक नयी शुरुआत हुई।


कुछ ठोकर, कुछ पत्थर,
कुछ घाव तो कहीं कुछ कांटे मिले,
फूल कहीं तो हंसी कहीं पर
और कहीं कुछ ख्वाब भी मिले,
मिलना-बिछड़ना के मेल से आगे,
और अनेक बात हुई,
नए सपनों, नए रंगो की,
एक नयी शुरुआत हुई।


इंद्र्धानुषी रंगो को लेकर
आज कुछ नए स्वप्न बुने,
राह में बिखरे कांटो से हटकर,
फूलों सजाकर,एक नयी राह चुनें,
नयी उमंग, नयी तरंग,नए हौंसलों
को लिए मन में,नयी सुबह की बात हुई,
नए सपनों, नए रंगो की,
एक नयी शुरुआत हुई।
ठिठक कर पीछे न देखने की,
मन से मन की बात हुई,
“कलम” में नयी स्याही भर कर,
नयी लिखावट की शुरुआत हुई,
नए सपनों, नए रंगो की,
एक नयी शुरुआत हुई।





Tuesday, December 22, 2015

सवाल-जवाब



कुछ सवाल पूछती है ज़िंदगी,
जवाब दूँ, या खामोश रहूँ,
यह भी एक सवाल है;

गम और खुशी का मेल है ज़िंदगी,
इन्हे सौगात समझूँ, या उलझन,
हर पल यही ख़याल है;

मिलन-विछोड़ा, जीवन के दिन रात हैं,
शाश्वत-सत्य यह मान लूँ, या भुला दूँ,
हर पल उठते सवाल है;

सवाल-जवाब और उलझनों के माया-जाल में
फंसी-उलझी ज़िंदगी, रुकूँ या चलूँ,
पल पल चलते सवाल हैं;

कलम की नोक पर सहम कर अटकी ज़िंदगी,
दर्द और खुशी के सैलाब में डुबूँ या पार उतरूँ,
न हल होने वाले या कुछ सवाल है।