Tuesday, March 27, 2012

कीमत





हर शै की एक कीमत होती है
मुस्कान हो या ज़िंदगी
हर एक को
अपने अपने ढंग से
उसकी कीमत चुकानी पड़ती है

छोटी सी हंसी भी
आंसुओं के सैलाब 
को पार करके ही
लबों पर सजाई जाती है

गमों के सहरा से गुजर कर ही
एक पल की खुशी
हासिल होती है

ज़िंदगी भर हम ढूंढते हैं जिस
सुकून के पल को
उस पल की मंजिल भी
जीवन-क्षितिज की सीमा होती है






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