हर शै की एक कीमत
होती है
मुस्कान हो या
ज़िंदगी
हर एक को
अपने अपने ढंग
से
उसकी कीमत चुकानी
पड़ती है
छोटी सी हंसी
भी
आंसुओं के सैलाब
को पार करके ही
लबों पर सजाई
जाती है
गमों के सहरा
से गुजर कर ही
एक पल की खुशी
हासिल होती है
ज़िंदगी भर हम
ढूंढते हैं जिस
सुकून के पल को
उस पल की मंजिल
भी
जीवन-क्षितिज
की सीमा होती है
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