Thursday, August 29, 2013

अधूरे सवाल.............



हर रिश्ते को अपनाता मन
कब कोई बहुत अकेला हो जाता है
क्या जानता है कोई,

दुनिया की भीड़ में
रिश्तों के मेले में
हंसी का मुखौटा पहने
कब कहीं  
खामोशी का गहना पहना है किसी ने,
क्या जानता है कोई,

हर उलझन, हर सवाल का
जवाब देते हुए,
हर मोड की सलवटों को
दूर करते हुए
कब कैसे
अपने में ही उलझ गया कोई
क्या जानता है कोई







Tuesday, August 6, 2013

अनूठे सवाल


कलियों के चेहरे
किस लिए खिले खिले रहते हैं
किस लिए गर्दन में खम
लिए नयन मूँदे रहते हैं।

क्यूँ शबनमी होठों से
मुस्कान के मोती झरते हैं,
किसके आने की आहट से ही,
गेसू सँवर जाते हैं,

अध्मुंदे नयन,पलक
बिछोने बिछा कर
सोते हुए भी जगे
जगे से रहते है



गुंचो के शहर में
यह शोर मचा है,
जमाना ज़ाहिर हैं ये बातें,
एक गुल ही हैं,
जो हर खयाल से
गाफिल से रहते हैं।