Thursday, September 19, 2013

इंतज़ार




सभी के सीने में दर्द छुपा है
कहीं कम तो कहीं ज्यादा

सभी के लबों पर घायल मुस्कान है
सभी कहीं न कहीं वक़्त के मुलाज़िम हैं
हर कोई किसी न किसी पल मरता है
हंसी के पर्दे में अश्क छुपाता है
कहीं कम तो कहीं ज्यादा

उम्र के हर दौर में,
भागते दौड़ते पलों के साथ
अपने के साथ अपनों को
ढूंढने की कोशिश सबकी जारी है
कहीं कम तो कहीं ज्यादा



इंतज़ार ए पल की
तलाश पूरी होगी कभी
मिल ही जाता है धरती से
आसमान यूं ही, कभी कभी
कहीं कम तो कहीं ज्यादा



Tuesday, September 10, 2013

एक कोशिश..........




खो गए चेहरों को ढूँढने के लिये
धुंधली पड़ी आवाजों की
परतों पर से
की धूल हटाने के लिये
चलो एक कोशिश और करें

राह में चलते चलते
खो गए राहगीर जो
उन्हे फिर से एक
आवाज देने की कोशिश और करें

जुगनू से टिमटिमाते सपने
बनते बनते रेत की
लिखावट सी, मिट गए जो उन्हे,
चलो आज फिर से
सजाने की कोशिश और करें।

दुनिया की भीड़ में खो गए
जो रिश्ते नाते,
उलझ कर कहीं गुम न हो जाएँ
उन्हे फिर से सुलझा कर
मना लाने की एक कोशिश और करें।




Friday, September 6, 2013

प्रश्न चिन्ह


सवालों के घेरे में बंधी ज़िंदगी
खुद एक सवाल हो जाती है



जवाबों के जंगल में घूमते हुए
हर मोड पर एक नया सवाल
सामने खड़ा दिखाई देता है

कभी कोई पुराना सवाल
नया रूप-ओ-रंग में
फिर जनम लेता है;
वहीं सुलझा कोई सवाल
फिर नई उलझन बन कर
हँसता दिखाई देता है।

सवाल का जवाब्,
जवाब का एक नया सवाल,
सवाल जवाब का रिश्ता
ज़िंदगी से सांस जैसा है

ज़िंदगी इनही जवाबों
के सवालों में सिमट सी जाती है,
और कभी
सवालों के घेरे में बंधी ज़िंदगी
खुद एक सवाल हो जाती है