Friday, September 6, 2013

प्रश्न चिन्ह


सवालों के घेरे में बंधी ज़िंदगी
खुद एक सवाल हो जाती है



जवाबों के जंगल में घूमते हुए
हर मोड पर एक नया सवाल
सामने खड़ा दिखाई देता है

कभी कोई पुराना सवाल
नया रूप-ओ-रंग में
फिर जनम लेता है;
वहीं सुलझा कोई सवाल
फिर नई उलझन बन कर
हँसता दिखाई देता है।

सवाल का जवाब्,
जवाब का एक नया सवाल,
सवाल जवाब का रिश्ता
ज़िंदगी से सांस जैसा है

ज़िंदगी इनही जवाबों
के सवालों में सिमट सी जाती है,
और कभी
सवालों के घेरे में बंधी ज़िंदगी
खुद एक सवाल हो जाती है



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