Monday, February 11, 2013

यादें





होठों पर मुस्कान कभी,
आँखों में नमी लाती हैं यादें,
बीते लम्हों को आज में
दोबारा जिंदा कर जाती हैं यादें,

गीली रेत के निशान बन कर,


तो कभी,
पत्थर पर खिची लकीर बन कर,
जीने का सहारा बनती हैं,
तो कभी,
अशकों का जरिया बनती हैं, यादें,

पतझर की सूखी डाल में अटकी
पीली पांत सी
गुलाब-शूल सी दिल में
चुभती हैं यह यादें,

यह यादें ही हैं,
जो, हमें जिंदा रखती हैं,

यह यादें ही हैं
जो हमें जीने नहीं देती हैं।


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