यादों की खिड़की से झाँकता, एक चेहरा
कभी मुस्काता, कभी रुलाता, एक चेहरा
तुतलाते शब्दों में सवाल पूछता
एक चेहरा,
शर्माते जवाबों में उलझा एक
चेहरा,
यादों के बेलों में,
घूमता,बल खाता एक चेहरा,
कभी मुस्काता, कभी रुलाता, एक चेहरा।
सड़क के मोड पर कभी मूड कर
देखता एक चेहरा,
बस के सीट पर बैठ कर मुड़ कर
देखता एक चेहरा,
चलती भीड़ में खोकर फिर मिलता
हुआ एक चेहरा,
पटरी पार करने के इंतज़ार में
खड़ा एक चेहरा,
रेल के आपाधापी में अपनी जगह
बनाता एक चेहरा,
किसी कोने में बैठ कर ऊँघता, समहलता एक चेहरा,
किसी कपड़े की दुकान को उम्मीद
से निहारता एक चेहरा,
भीड़ के धक्के से गिरे बरफ
के गोले को मासूमियत से
निहारता एक चेहरा।
सलवटें पड़े माथे से पसीना
पोंछता एक चेहरा,
नए कपड़ों को मुसन से बचाता
एक चेहरा,
नई खुशी से झिलमिलाता , तो कभी,
दुख को अपने में समाता एक
चेहरा,
हर चेहरा, कुछ कहता है,
हर चेहरा, कुछ सुनता है,
यादों की गलियों से झाँकता
एक चेहरा,
कभी मुस्काता, कभी रुलाता, एक चेहरा।